रविवार, 27 अगस्त 2017

जय साईं राम बाबा जय साईं राम

                भजन 

बोलो जय साईं राम  बाबा ,जय साईं राम
बोलो जय साईं राम  बाबा ,जय साईं राम

साईं राम के अजब नज़ारे ,शिरडी में लगते भण्डारे
खाने आते लोग हज़ारों ,बाबा के होते जय जयकारे
कमी नहीं खजाने में ,
जय साई राम बाबा जय साई राम
बोलो-------------------------

बाबा के दर जो आते हैं ,दुःख दर्द मिटाए जाते हैं
रोते रोते आते भक्ता ,हँसते हँसते जाते हैं
कृपा बरसे भक्तों पर ,
जय साईं राम बाबा ,जय साईं राम
बोलो------------------------------

पानी से दिए जलाते थे ,रोजाना दिवाली मनाते थे
सबका मालिक एक है ,सबको यही बताते थे
ज्ञान की गंगा बहाते थे
जय साईं राम बाबा ,जय साईं राम
बोलो----------------------------

                                                            शरणागत
                                                         नीलम सक्सेना

शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

तेरी दुनिया में आके तुझे भूल न जाऊँ ,तुझे भूल न जाऊँ

                         भजन 



इस दुनिया के रंग में रंग न जाऊं ,रंग न जाऊँ
तेरी दुनिया में आके तुझे भूल न जाऊँ ,तुझे भूल न जाऊँ

मोह माया के जाल बुरे हैं ,मकड़ी जैसे जाल बने हैं
विषय वासना के चक्कर में फंस न जाऊँ ,फंस न जाऊँ
 तेरी दुनिया में आके तुझे भूल न जाऊँ,तुझे भूल न जाऊँ

सब कुछ उसका फिर भी कहता ,तेरा मेरा तेरा मेरा
तेरे मेरे के चक्कर में फंस न जाऊँ ,फंस न जाऊँ
तेरी दुनिया में आके तुझे भूल न जाऊँ ,तुझे भूल न जाऊँ

काल चक्र में फँसता बन्दा ,आता जाता रहता बन्दा
लख चौरासी की डगर में फंस न जाऊँ ,फंस न जाऊँ
तेरी दुनिया में आके तुझे भूल न जाऊँ ,तुझे भूल न जाऊँ


संत रूप में आये उतरके ,मानव को समझाने को
मोह माया के चक्कर में तुम फंस न जइयो ,फंस न जइयो
इस दुनिया के रंग में रंग न जइयो ,रंग न जइयो
इस दुनिया में आके प्रभु को भूल न जइयो


 शरणागत
 नीलम सक्सेना 

बलिहारी जाऊँ कान्हा ,तेरी बाँकी चितवन पे



                     भजन 


बलिहारी जाऊँ बलिहारी जाऊँ ,बलिहारी जाऊँ  बलिहारी जाऊँ
बलिहारी जाऊँ कान्हा ,तेरी बाँकी चितवन पे
बलिहारी जाऊँ ,बलिहारी जाऊँ
बलिहारी जाऊँ कान्हा ,तेरी बाँकी चितवन पे

१.ढूंढ रही रे गोपी ,कहाँ छुपा रे कान्हा
माँ यशोदा के पीछे जा छुपा रे कान्हा
दौड़ो भागो पकड़ो ,अरे मिल गया रे कान्हा
बलिहारी जाऊँ ,बलिहारी जाऊँ
बलिहारी जाऊँ कान्हा ,तेरी बाँकी चितवन पे

२. निधिवन में रास रचाया ,राधा संग में रास रचाया
महारास में गोपियाँ सारी ,कान्हा संग में रास रचाया
गोपी  बनके पहुँचे शंकर ,मुस्काएं हैं कान्हा
बलिहारी जाऊँ ,बलिहारी जाऊँ
बलिहारी जाऊँ कान्हा ,तेरी बाँकी चितवन पे

यमुना किनारे  चीर चुराया ,गोपियों को बड़ा सताया
गोपियाँ बोली हाथ जोड़के , चीर देदो कान्हा
कदम्ब की डाल पे बैठे बैठे ,देख रहे सब कान्हा
बलिहारी जाऊँ ,बलिहारी जाऊँ
बलिहारी जाऊँ कान्हा ,तेरी बाँकी चितवन पे



                                                                     शरणागत
                                                                  नीलम सक्सेना

शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

कैसी सुन्दर रचना परमात्मा की








                  भजन 










कैसी सुन्दर रचना ,कैसी सुन्दर रचना ,कैसी सुन्दर रचना
परमात्मा की-s  ,परमात्मा की

हम सबको है उसने बनाया , उसने बनाया-s  उसने बनाया
धड़कन रूप में वही समाया-s , वही समाया
कैसी सुन्दर रचना ---------

जीव  जन्तु पशु पक्षी ,उसने बनाये-s  उसने बनाये
ऊंची उड़ान में वही समाया-s ,वही समाया
कैसी सुन्दर रचना ---------

धरती मैया अन्न उगाए ,पेड़ पौधे-s फल और फूल
रस सुगंध में वही समाया-s ,वही समाया
कैसी सुन्दर रचना ---------

धूप छॉव हवा अग्नि , उसने बनाये-s  उसने बनाये
जल धरा में वही समाया-s , वही समाया
कैसी सुन्दर रचना ---------

इक धागे में सबको पिरोया ,इक डोरी से बाँध के रखा
उसी की कृपा से चले संसार ,चले संसार-s  चले संसार
कैसी सुन्दर रचना ---------




                                                                                                   शरणागत
                                                                                              नीलम सक्सेना
                                                                                                    ( वीरा )