भजन
काहे भटक रहा ओ प्राणी ,तेरी मंजिल क्या है प्राणी
जब अंत समय आएगा ,तब क्या करेगा ओ प्राणी
१. मोह बंधन में फँसा रहा तू , इससे क्यों न बहार आया
जब लगेंगे यम के फंदे ,तब क्या करेगा ओ प्राणी
काहे भटक रहा-----------------------------
२. तूने हरि नाम नहीं जाना , कभी गया न गुरु की शरण में
जब होगा हरि से सामना ,तब क्या करेगा ओ प्राणी
काहे भटक रहा-----------------------------
३. इस दुनिया में न कोई तेरा , किसके लिए तू है जी रहा
सच्ची राह तू चुन ले ओ प्राणी ,भव से पार उतर ले ओ प्राणी
काहे भटक रहा-----------------------------
शरणागत
नीलम सक्सेना
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