मंगलवार, 17 जनवरी 2017

भजन हरि शरण मे जाना है तो , हरि का सुमिरन करलो

                               प्रारम्भ 

हरि शरण मे  जाना है तो , हरि का सुमिरन करलो 
अरे हरि का सुमिरन करलो बन्दे , हरि का सुमिरन करलो 
हरि शरण -----------------

हरि शरण मे वो ही जाता , जो सारे जग से न्यारा है -२ 
सारे जग से वो ही न्यारा , जो हरि का प्यारा है 
अरे हरि का सुमिरन करलो बन्दे , हरि का सुमिरन करलो 
हरि शरण -----------------

हरि हमारे बड़े ही सुन्दर ,बड़े दयालु बड़े कृपालु -२ 
हृदय मे तुम उन्हें बसा लो ,भव से पार उतर लो रे 
अरे हरि का सुमिरन करलो बन्दे , हरि का सुमिरन करलो 
हरि शरण -----------------

शंख चक्र गदा धारण करते , बैकुण्ठ मे है बास करते -२ 
नागों की शैय्या है उनकी ,लक्ष्मी उनकी पत्नी रे 
अरे हरि का सुमिरन करलो बन्दे , हरि का सुमिरन करलो 
हरि शरण -----------------

ये संसार उन्ही की माया , कण-कण मे है वही समाया 
भव से पार उतरना है तो , प्रभु की शरण मे जाना रे 
अरे हरि का सुमिरन करलो बन्दे , हरि का सुमिरन करलो 
हरि शरण -----------------

लख चौरासी उन्ही की माया , उन्ही की माया उन्ही की माया 
माया -जाया से बचना है , सत्संग मे तुम जाना रे 
अरे हरि का सुमिरन करलो बन्दे , हरि का सुमिरन करलो 
हरि शरण -----------------

                             इति 

                                                                       शरणागत 
                                                                   नीलम सक्सेना 




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