मंगलवार, 24 जनवरी 2017

हे मूरख बन्दे काहे करे अभिमान

           भजन 








    हे मूरख बन्दे काहे करे अभिमान -२

१. पंचभूत की बनी ये काया , मिटटी में मिल जाएगी
    राम नाम का सुमिरन करले , मुक्ति तुझे मिल जायेगी
    हे मूरख बन्दे काहे करे अभिमान -२

२. राम नाम की  बूटी पीकर , भव से पार हो जाएगा
    राम नाम की गंगा नहाकर , बेडा पार हो जायेगा
    हे मूरख बन्दे काहे करे अभिमान -२

३. कौड़ी - कौड़ी माया जोड़ी , संग तेरे ना  जाएगी
    धन-दौलत से भरे खजाने , यहीं पड़े रह जाएंगे
    हे मूरख बन्दे काहे करे अभिमान -२

४. क्या करता है मेरा-मेरा , चिड़िया रैन बसेरा
    सांस तेरी रूक जाएँगी , हंस तेरा उड़ जायेगा
    हे मूरख बन्दे काहे करे अभिमान -२
 

                                                                  शरणागत 
                                                                  नीलम सक्सेना






















प्रभु सिमरन शरणागत नीलम सक्सेना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें