॥ प्रारम्भ ॥
भजन ओ अभिमानी ये माया आनी जानी
न कर मनमानी तू झूठी शान मे
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी ----------------
माता पिता का तूने कहना न माना , गुरु की आज्ञा न मानी ई~~~~ गुरु की आज्ञा न मानी
भाई बहिन का तूने नाता न निभाया , मित्र को पहुचाई हानि ई~~~~ मित्र को पहुचाई हानि
किया तूने सभी के साथ धोखा , यह काम नहीं चोखा , तू सुन ज़रा ध्यान से
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी -----------------
लाखो करोडो तेरे पाप कमाई ,वो भी काम न आएगी ई~~~~ वो भी काम न आएगी
त्रिया करे जो प्रीत घनेरी , वो भी साथ न जाएगी ई~~~~ वो भी साथ न जाएगी
तेरे नाती पोते बजायेंगे बाजा ,निकलेंगे जनाजा , तू जायेगा जहां से
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी -----------------
मैंने कहा था उसे मान ले तू पगले , सत संगत मे आ मिले ऐ~~~~ सत संगत मे आ मिले
किये तूने जो पाप घनेरे ,वो झूठी शान मे
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी -----------------
इति
शरणागत
नीलम सक्सेना
भजन ओ अभिमानी ये माया आनी जानी
न कर मनमानी तू झूठी शान मे
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी ----------------
माता पिता का तूने कहना न माना , गुरु की आज्ञा न मानी ई~~~~ गुरु की आज्ञा न मानी
भाई बहिन का तूने नाता न निभाया , मित्र को पहुचाई हानि ई~~~~ मित्र को पहुचाई हानि
किया तूने सभी के साथ धोखा , यह काम नहीं चोखा , तू सुन ज़रा ध्यान से
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी -----------------
लाखो करोडो तेरे पाप कमाई ,वो भी काम न आएगी ई~~~~ वो भी काम न आएगी
त्रिया करे जो प्रीत घनेरी , वो भी साथ न जाएगी ई~~~~ वो भी साथ न जाएगी
तेरे नाती पोते बजायेंगे बाजा ,निकलेंगे जनाजा , तू जायेगा जहां से
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी -----------------
मैंने कहा था उसे मान ले तू पगले , सत संगत मे आ मिले ऐ~~~~ सत संगत मे आ मिले
किये तूने जो पाप घनेरे ,वो झूठी शान मे
तेरा पाला भी पड़ेगा शमसान से
ओ अभिमानी -----------------
इति
शरणागत
नीलम सक्सेना
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