॥ प्रारम्भ ॥
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
क्यों आया है इस जगत मे
भूला रे क्यों प्राणी
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
हम सब तो है उसकी माया , जिसने जगत बनाया
समझ न पाए उसकी माया। , जग मे तू भरमाया
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
गुरु की शरण मे आजा रे बन्दे ,ज्ञान की गंगा नहायेगा
ज्ञान की गंगा मे तू नहाकर , भाव से पार हो जायेगा
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
सारी उमर तू सोता रहा क्यू नहीं जागा प्राणी
सत्संग मे तू आजा रे बंदे अब तो जाग जा प्राणी
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
बचपन बीता खेल कूद मे ,नींद मे सोया जवानी ,
जर जर काया देखकर, क़्यू रोया तू प्राणी
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
इति
शरणागत
नीलम सक्सेना
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
क्यों आया है इस जगत मे
भूला रे क्यों प्राणी
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
हम सब तो है उसकी माया , जिसने जगत बनाया
समझ न पाए उसकी माया। , जग मे तू भरमाया
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
गुरु की शरण मे आजा रे बन्दे ,ज्ञान की गंगा नहायेगा
ज्ञान की गंगा मे तू नहाकर , भाव से पार हो जायेगा
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
सारी उमर तू सोता रहा क्यू नहीं जागा प्राणी
सत्संग मे तू आजा रे बंदे अब तो जाग जा प्राणी
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
बचपन बीता खेल कूद मे ,नींद मे सोया जवानी ,
जर जर काया देखकर, क़्यू रोया तू प्राणी
तेरी मेरी तेरी मेरी , क्या करता है प्राणी
इति
शरणागत
नीलम सक्सेना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें