भजन
हे गुरुवर मेरे दर आयी तेरे-संभालो
इस भंवर से तो बाहर निकालो
१. कैसा जाल बनाया माया का
जैसे तड़पे जल बिन मछली है
ऐसे तड़प रही हूँ-संभालो
इस भंवर से तो बाहर निकालो
हे गुरुवर-----------,इस भंवर------------
२. हे गुरुवर मेरे कुछ ऐसा करो
इस जगत में जन्म न लेना पड़े
ये है मकड़ी का जाल-संभालो
इस भंवर से तो बाहर निकालो
हे गुरुवर-----------,इस भंवर------------
३. इस जग की माया मिथ्या है
सब भक्तों की एक समस्या है
गुरु बचन ही हमको-संभाले
इस भंवर से तो बाहर निकालें
हे गुरुवर-----------,इस भंवर------------
४. है सारी उमर का निचोड़ बढ़ापा
सब कर्मों का फल है दाता
ये है जी का जंजाल-संभालो
इस भंवर से तो बाहर निकालो
हे गुरुवर-----------,इस भंवर------------
शरणागत
नीलम सक्सेना
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