भजन
भोला मस्ती में रहता है,भर-भर लोटा पीता है
कैलाश धाम में रहता है, डम-डम-डम डमरू बजता है
१. भांग धतूरा खाता है, बेल का शरवत पीता है
दूध की लस्सी पीता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
२. शीश जटाएँ रखता है, गंगाजी धारण करता है
चंदा शीश चमकता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
३. कान में बिच्छू पहनता है, गले में सर्प पहनता है
हाथ में डमरू बजता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
४. मृगछाला अंग पहनता है,कांधे पे झोला रखता है
पैर खड़ाऊँ पहनता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
५. संग में गौरा रखता है, गोद में गणपति रखता है
साथ में नंदी चलता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
कैलाश धाम में रहता है, डम-डम-डम डमरू बजता है
१. भांग धतूरा खाता है, बेल का शरवत पीता है
दूध की लस्सी पीता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
२. शीश जटाएँ रखता है, गंगाजी धारण करता है
चंदा शीश चमकता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
३. कान में बिच्छू पहनता है, गले में सर्प पहनता है
हाथ में डमरू बजता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
४. मृगछाला अंग पहनता है,कांधे पे झोला रखता है
पैर खड़ाऊँ पहनता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
५. संग में गौरा रखता है, गोद में गणपति रखता है
साथ में नंदी चलता है, भोला मस्ती में रहता है
भर-भर लोटा पीता है।
शरणागत
नीलम सक्सेना
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