भजन
आसमान में उड़ने वाले ,धरती को पहचान
किसी का रहा नहीं अहंकार ,किसी का रहा नहीं अभिमान
१. राम ने रावण मारा ,जिसको था अभिमान
लंका जलकर ख़ाक हुई ,रहा न नामो निशान
कान लगाकर सुनले बन्दे ,मत कर रे अभिमान
किसी का रहा नहीं अहंकार ,किसी का रहा नहीं अभिमान
आसमान में उड़ने -----------------------------------
२. मानव है अहंकार का पुतला ,गुरूजी मार्ग दिखाते
शनिदेव हैं कर्म फल दाता ,उसकी लाइन लगाते
ध्यान लगाकर सुनले बन्दे ,मत कर रे अभिमान
किसी का रहा नहीं अहंकार ,किसी का रहा नहीं अभिमान
आसमान में उड़ने -----------------------------------
३. अहंकार है जहर समान ,जिसको सर्प उगलता है
राम नाम ही उसे बचाता ,जो भी शरण आता है
गुरुदेव की बात मानले ,मत कर रे अभिमान
किसी का रहा नहीं अहंकार ,किसी का रहा नहीं अभिमान
आसमान में उड़ने -----------------------------------
शरणागत
नीलम सक्सेना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें